Wednesday, November 05, 2014

Beti..!!



यह कविता मैं इस देश की हर लड़की को स्मर्पित करना चाहती हूँ।

इस जगत में सुकून का आधार है बेटी,
सृष्टि का  एक अनमोल पुरस्कार है बेटी।
तेरी इक किलकारी मुस्काए जहान को ,
सिसकी तेरी जो निकले, रुलाए आसमान को।
थक जाएं इस जहान  के  अमलो अमाल से,
आँखों में नींद बन के, समा जाए है बेटी।
बेटा तो बनता  है केवल एक कुल का दीपक,
बेटी करे  है  रोशन दोनों जहान को।
क्यों करते हो सर्वनाश अपनी ही कोख का ,
बचा लो कुदरत के इस  वरदान को।
परिवार के विकास का आधार है बेटी,
कुपथित इस समाज का सुधार है बेटी।
ना आंच आए बेटी पे ,करना इक संग्राम है,
जननी तू जन्म से है,'' नागर " का  सलाम है।
                                           - अनुप्रिया नागर 

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